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Showing posts from August, 2016
।।मैढ़ स्वर्णकारों के नाम अपील।।         आजकल व्हाट्सअप और फेसबुक पर काफी स्वर्णकार भाइयों द्वारा एक ट्रेंड चलाया जा रहा है "सर्व स्वर्णकार एक हो जाओ"।      मैं पूछना चाहता हूँ किसलिए ? और क्या करना चाहते है आप ?      अगर आप व्यापारिक स्तर पर एक होना चाहते है तो इसका ढिंढोरा सामाजिक ग्रुपों में क्यों ? और वैसे भी व्यापारिक स्तर पर जब एक होने का अवसर आया था, एक्साइज ड्यूटी के विरुद्ध आंदोलन में तो यह सर्व स्वर्णकार कहाँ चला गया था ? ज्वेलर्स के अलावा सिर्फ मैढ़ स्वर्णकार ही पिसा था उस दिशा हीन हड़ताल में। तब कहाँ चले गए थे यह सर्व स्वर्णकार को एक करने वाले।        रही बात सामाजिक स्तर कि तो यह भी एकदम स्पष्ट है कि मैढ़ स्वर्णकार समाज एक सुदृढ़ और सक्षम समाज है। इसे किसी के सहारे की आवश्यकता नहीं है। यह समाज भारतीय सभ्यता के साथ साथ आगे बढ़ा है। संस्कार, सामाजिक ताना-बाना और आर्थिक रूप से मैढ़ स्वर्णकार समाज पूरी तरह से आत्म निर्भर है।      अतः बंधुओ इस सर्व स्वर्णकार की राग को छोड़िये और अपने मैढ़ स्वर्णक...
Taazi hawa mein phoolon ki mehak ho, Pehli kiran mein chidiyon ki chehak ho, Jab bhi kholo tum apni palkein, Un palkon mein bas khushiyon ki jhalak ho.. Good Morning